साम्राज्यवाद के विरुद्ध! सीरिया, चीन और नार्थ कोरिया के बचाव में !

केवल अंतरराष्ट्रीय समाजवादी क्रांति ही शांति की गारंटी दे सकती है!

23 अप्रैल, 2017

६ अप्रैल को ट्रम्प ने सीरियाई सैन्य ठिकानो पर हमले का आदेश दिया। यह पहली बार था जब अमेरिका ने किसी सरकारी ठिकाने पर हमला किया, अब तक अमेरिका केवल इस्लामिक स्टेट के ठिकानो को ही अपने बमबारी का निशाना बनाते आया है। ट्रम्प का यह फैसला अमरीकी ख़ुफ़िया विभाग के उन बयानों के बाद आया जिसमे कहा गया की असद सरकार इदलिब में हुए रासायनिक हमले, जिसमे करीब ८० लोगों की मौत हुयी, के लिए जिम्मेदार है । इस खबर को पूरी दुनिया के बड़े मीडिया समूहों ने जल्दीजल्दी और ज्यों का त्यों प्रकाशित कर दिया, हालाँकि असद सरकार ने इस खबर को गलत करार दिया है और दोष को हथियारबंद विपक्ष के सर मढ़ दिया। हालाँकि इस वक़्त यह बता पाना बहुत मुश्किल है की कौन सा बयान सही है , पर हमें ध्यान में रखना चाहिए की , साम्राज्यवादी ताकतें बहाना बनाने में उस्ताद होती हैं जिनका इस्तेमाल वे समय आने पर दूसरे देशों के विरुद्ध किये गए हमले और सैन्य कार्रवाइयों को सही करार देने के लिए करती हैं जैसा की हमने इराक के अस्तित्वहीन सामूहिक विनाश के हथियारवाले मामले में देखा था।

ट्रम्प के तर्क पाखंड से भरे हैं। उसका कहना है कि हमले का कारण नागरिकों (विशेष रूप से बच्चों) की हत्या थी, जिन्हे रासायनिक हमले में मारा गया था । ट्रम्प, हालाँकि, उन सैकड़ोंहज़ारों नागरिकों जिनकी मौत अमेरिकी बमबारी में हुई सीरिया और अन्य जगह, ड्रोन द्वारा किये गए हमलों और सीरियाई सरकार के सशत्र विपक्ष को दिए गए वित्तपोषण तथा सामरिक सहायता(ओबामा प्रशाशन के बाद से) के बारे में कोई उल्लेख नहीं करता (और नहीं अमरीकी बूर्ज्वा मीडिया), जिन्होंने बच्चों के खिलाफ अनगिनत अत्याचार भी किए हैं। ट्रम्प एक तरफ सीरियाई लोगों के प्रति अपना करुणा भावदिखाता है और दूसरी तरफ सीरियाई शरणार्थियों के ऊपर अमेरिका में संपूर्ण प्रतिबन्ध लगाता है । जाहिर है, ट्रम्प को निर्दोषों की मौत और पीड़ा के बारे में ज्यादा परवाह नहीं है।

इस हमले के पीछे अमेरिकी सरकार के लक्ष्य कई गुना हैं। सीरिया में आक्रमण की संभावना अमेरिका के सैन्य उद्योग को आगे बढ़ाती है, जो दुनिया में सबसे बड़ी है; ट्रम्प के पास आंतरिक असंतोष को शांत करने का भी मौका है, क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी के मुख्य प्रतिनिधि सीरिया या रूस के खिलाफ किसी भी हमले का उत्साहपूर्वक समर्थन करेंगे (जैसा की पराजित उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन पहले से ही स्पष्ट कर चुकी है) ।नया राष्ट्रपति ट्रम्प, पुतिन (असद का महत्वपूर्ण सहयोगी) की छवि से भी खुद को अलग करना चाहता है, जिसकी प्रशंसा राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार के दौरान ट्रम्प ने कई बार की थी । और ये सभी कारक मध्य पूर्व में अमेरिकी उपस्थिति के मुख्य कारण में शामिल हैं, जैसे: अपनी आर्थिक और सैन्य सर्वोच्चता सुनिश्चित करना, विश्वसनीय सहयोगियों की तलाश करना तथा क्षेत्रीय शक्तियों को कमजोर करना, विशेष रूप से रूस और चीन ।

यह जानना अभी संभव नहीं है की सीरिया के ऊपर किया गया हमला प्रचारके लिए किया गया एक हरकत था या फिर ट्रम्प देश के लिए अमरीकी रणनीति को बदल रहा है अब तक यह इस्लामिक स्टेट को नष्ट करने पर असद सरकार को उखड फेंकने के मुकाबले ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहा था (चुकीं अमेरिका का छेत्र में कोई भी ऐसा शक्तिशाली और स्थानीय सहयोगी मौजूद नहीं है जो वर्तमान शासकों की जगह ले पाए)। इस विषय पर ट्रम्प और अन्य अमेरिकी राजनयिकों के बयान मिले जुले रहे हैं । लेकिन एक या दूसरे तरह से , यह मामला अमेरिकी साम्राज्यवादी कुचक्र के खतरे को दिखाता है, जिसने विभिन्न ताकतों के बीच तनाव को खतरनाक रूप से बढ़ा दिया है। १९८० के रोनाल्ड रीगन वाले दौर के बाद यह पहली बार है जब दुनिया ने इस तरह अपनी सांसें रोक रखी है।

अपने प्रसाशन के इन पहले महीनों में, ट्रम्प ने यह साफ़ कर दिया है की उसकी विदेश निति अंतराष्ट्रीय ताकतों के बीच क्रमिक अमेरिकी पतन के लाइन को स्वीकार नहीं करेगी। यह चुनावी दौड़ के दौरान दिए गए उसके कथित अलगाववादीभाषण को समाप्त करता है, जिसमें उसने क्लिंटन के मतदाताओं को अपनी और खींचने के लिए युद्धों और युद्ध उन्मादों में अमरीकी भागीदारी की आलोचना की थी। हालांकि अमेरिकी कूटनीति के मामले में, ट्रम्प रूस और चीन (अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अमरीका के मुख्य प्रतिद्वंदी) के प्रति हल्का स्वर रख रहा है, भले ही उसने उन दोनों देशों के शासकों के साथ करीब राजनयिक रिश्तों को बरक़रार रखा है, लेकिन अमेरिकी पूंजी के साम्राज्यवादी हित इन क्षेत्रीय शक्तियों के साथ एक सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व की इजाजत नहीं देता है। इसके कारण, इसमें कोई संदेह नहीं है कि, ओबामा की तरह, ट्रम्प भी युद्धों को जारी रखेगा और विशेष रूप से इन दोनों देशों के खिलाफ आक्रामक रुख जारी रखेगा।

इस अंतरराष्ट्रीय आक्रमण का रखरखाव, जिसका उद्देश्य अमेरिकी साम्राज्यवाद की श्रेष्ठता की गारंटी देना है को इस तथ्य में देखा जा सकता है कि, अपने प्रशासन के पहले छणों में, ट्रम्प ने दक्षिण कोरिया के साथ संयुक्त सैन्य परियोजना के उद्घाटन की घोषणा की । थाड की तैनाती जिसका कथित तौर पर लक्ष्य उत्तर कोरियाई हमलों को रोकना है, इसी सैन्य समझौते का हिस्सा है । थाड (THAAD) के अलावा, ट्रम्प ने दक्षिण कोरियाई सेना के साथ संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण की भी घोषणा की है और हाल के हफ्तों में, उत्तर कोरिया के खिलाफ अमेरिकी तेवर और तल्ख़ हुए हैं, न केवल आक्रामक बयानों के मामले में, बल्कि कोरियाई प्रायद्वीप के समुद्र में एक शक्तिशाली बेड़े की तैनाती भी कुछ ऐसा ही कहता है।

हर चीज़ यही इंगित करता है कि कोरियाई प्रायद्वीप के संबंध में उठाये गए अमेरिकी कदम केवल उत्तरी कोरिया पर ही केंद्रित नहीं हैं, क्योंकि विशेषज्ञों ने दावा किया है कि THAAD हमलों को मात्र अवरोधित करने से कहीं ज़्यादाकरने में सक्षम है। इसलिए, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नौकरशाहों, जिन्होंने हाल के वर्षों में अमेरिकी कूटनीति के लिए कई प्रतिबद्धताएं दिखाई हैं, ने अपने देश के ऊपर संभावित खतरे को पहचाना है, और बदले में, चीन में स्थित मुख्य दक्षिण कोरियाई कंपनी, LOTTE सुपरमार्केट श्रंखला, के सभी संचालन बंद कर दिए हैं। उनकी चिंतायें न्यायसंगत हैं। कार्यालय में अपने पहले दिन ही, ट्रम्प ने चीनी उत्पादों पर कर वृद्धि का संकेत दिया था, उसके राज्य सचिव और एक्सोनमोबिल कंपनी के पूर्व सीईओ, रेक्स टिलरसन ने कहा कि वह दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों के ऊपर चीन के खिलाफ आक्रामक सैन्य नीति के पक्ष में है, वहीं ट्रम्प के मुख्य रणनीतिकार और घोर प्रतिक्रियावादी स्टीव बैनन ने कहा कि संभावनाएं प्रबल हैं कि, कुछ वर्षों के भीतर, अमेरिका चीन के साथ युद्ध करेगा।

इस तनाव भरे परिदृश्य में, क्रांतिकारी कम्युनिस्टों को अमेरिकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों के द्वारा अन्य देशों की संप्रभुता के खिलाफ किये गए सभी अपराधों के खिलाफ एक स्थिति लेनी होगी। इसके सभी मानवतावादीतर्क कोरी लफ्फाजी के सिवा कुछ नहीं ऐसे हमले केवल और केवल अमेरिकी शासक वर्ग के आर्थिक और राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए किये जाते हैं तथा इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय मजदूर वर्ग का शोषण कर वसूला जाता है । साम्राज्यवादी केंद्रों के श्रमिकों को निर्दोषों की मौतों(जैसे २,00,000 इराकी नागरिकों की अमेरिकी सैन्य कार्रवाइयों में मौत) को रोकने के लिए उन्हें अपनीबुर्जुआ सेनाओं की कार्रवाई के खिलाफ तथा उत्पीड़ित लोगों के अधीनता और घर परशासक वर्ग की मजबूती को रोकने के लिए जो, यदि विजयी हुआ, तो अपनेसर्वहारा पर हमला करने के लिए और अधिक आरामदायक महसूस करेगा सड़क पर विरोध प्रदर्शन तथा हड़ताल करना चाहिए । पूंजीवादी शासन के परिधि में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए, इस पर ध्यान दिए बिना कि कोई विशेष देश सैन्य हमलों में भाग लेता है या नहीं। हालांकि, इन कार्रवाइयों में शांतिवादीप्रवृत्ति नहीं होनी चाहिए। क्रांतिकारी कम्युनिस्टों को, साम्राज्यवादी युद्धों को रोकने के लिए संघर्ष करते समय, उत्पीड़ित देशों की रक्षा के लिए वैध अधिकार के पक्ष में भी होना चाहिए और आक्रमणकारियों का विरोध करने वाले स्थानीय समूहों के सैन्य पक्ष को लेना चाहिए, भले ही इसमें उस देश के राष्ट्रीय पूंजीपति ही क्यों न शामिल हों। इन बातों को ध्यान में रखे बगैर, अंतर्राष्ट्रीयता के बारे में बात करना केवल हवा में तीर चलाने जैसा होगा ।

जटिल गृहयुद्ध जो लगभग 6 वर्षों से सीरिया को तबाह कर रहा है, के बीच, हमने लगातार किसी भी अमेरिकी हमले के खिलाफ खुद को बारबार स्पष्ट किया है । सीरिया एक साम्राज्यवाद द्वारा उत्पीड़ित राष्ट्र है। यद्यपि हमें तानाशाह असद से किसी प्रकार की सहानुभूति नहीं है और नहीं हम उसे किसी भी प्रकार की राजनीतिक समर्थन हीं देते हैं, उसके और अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित सशस्त्र लड़ाकों के समूहों के साथ टकराव में, हम सीरियाई सरकार के सैन्य पक्ष को लेते हैं और मध्य पूर्व से साम्राज्यवादियों का निष्कासन एक सर्वोच्च प्राथमिकता है। सीरिया के खिलाफ सीधा अमेरिकी युद्ध की स्थिति में, हम साम्राज्यवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ पक्ष लेंगे । इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है की हम सीरियाई सरकार के अत्याचारों और मानवाधिकारों के अनादर का किसी प्रकार समर्थन कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि सीरियाई श्रमिक असद को उखाड़ फेंकें और सत्ता के लिए अपनी दावेदारी पेश करें। साथ ही हम ये ध्यान दिलाना चाहते हैं की एक अधीनस्थ देश और एक दमनकारी शक्ति के बीच टकराव के हालत में, जो खुद को कम्युनिस्ट कहते हैं वे कतई तटस्थ नहीं हो सकते हैं।

जैसे की हम असद को साम्राज्यवाद विरोधीके रूप में नहीं देखते हैं सीरिया के मजदूर वर्ग के सहयोगी का तो सवाल ही खड़ा नहीं होता वैसे ही सीरिया में प्रतिक्रियावादी पुतिन और रूसी सैन्य कार्रवाइयों को साम्राज्यवाद विरोधीया प्रगतिशीलहोने के दावे को भी हम साफ़ ख़ारिज करते हैं। यद्यपि ये कार्रवाईयां निश्चित रूप से सीरिया पर बढ़ते अमेरिकी साम्राज्यवादी घेराबंदी के जवाब में रूस का अपने आप को मजबूत करने के प्रयास से जुड़े हुए हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये हस्तक्षेप उन सिमित पूंजीपतियों के हितों की रक्षा भी कर रहा है जो सोवियत संघ में पूंजीवादी बहाली के बाद पैदा हुए, जो असद शासन को अपने सैन्य उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण ग्राहक के रूप में देखता है, और जिसका सीरिया में प्रत्यक्ष निवेश है, जैसे अरबों डॉलर की वह परियोजना जिसमे गैजप्रोम को अरब पाइपलाइन के एक हिस्से को बनाने का ठेका मिला है।

चीन और उत्तरी कोरिया के संबंध में, कई ट्रोट्स्कीवादियोंके विपरीत, हम मानते हैं कि वे विकृत श्रमिक राज्य हैं, और हम अमेरिका के किसी भी और सभी धमकियों तथा हमलों के खिलाफ उनके सैन्य बचाव का समर्थन करते हैं, जो उन्हें फिर से उपनिवेशों में बदल देना चाहते हैं । इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हम इन देशों की सरकारों को कोई राजनीतिक समर्थन देते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद चीन और उत्तरी कोरिया में किसान सेनाओं की क्रांतिकारी विजय ने पूंजीवादी वर्ग के हाथों से सत्ता छीन लिया, लेकिन इससे एक विशेषाधिकार प्राप्त नौकरशाही को भी शक्ति मिली जिसने मजदूरों को प्रत्यक्ष राजनीतिक शक्ति से वंचित कर दिया, एक सर्वहारा लोकतंत्र के समेकन के रास्ते को अवरुद्ध कर दिया और गहराई से इन देशों की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को विकृत कर दिया। उन देशों पर शासन करने वाले नौकरशाहों के द्वारा किये गए सभी विश्वासघातों और आपदाओं का वर्णन करने के लिए इस लेख में पर्याप्त जगह नहीं है। लेकिन, बुर्जुआ वर्ग का सत्ता विस्थापन एक उपलब्धि है जिसकी रक्षा की जानी चाहिए, और क्रांतिकारी कम्युनिस्ट इन देशों और साम्राज्यवादी ताकतों के बिच हो रहे झगड़ों में तटस्थ नहीं रह सकते हैं। साथ ही, हम किसी भी तरह से अपने राजनैतिक कार्यक्रम को त्यागते नहीं हैं, जो नौकरशाहों के पतन के लिए मजदूर वर्ग और उसके समाजवादी दलों के राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता है तथा ऐसे नौकरशाही शासनों के खिलाफ सर्वहारा क्रांति की आवश्यकता को इंगित करता है।

अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक माहौल तीव्र अस्थिरता में है। एक ऐसे क्रांतिकारी स्थिति की कोई संभावना नहीं है जो पीड़ित राष्ट्रों और शेष विकृत मजदुर राज्यों की रक्षा को शामिल नहीं करती हो । लेकिन इस राजनीतिक कार्यभार से परे, गारंटीकृत शांति के लिए केवल एक ही रास्ता है: समाजवादी क्रांति के माध्यम से साम्राज्यवादीयों और वैश्विक पूंजीपतियों का निरस्त्रीकरण। पूंजीपतियों के हिंसक हित जो की नस्लीय, राष्ट्रीय और धार्मिक नफरत से प्रेरित हैं दुनिया के सभी प्रमुख युद्धों का कारण बनते हैं। विशाल बहुमत के लाभ में उत्पादक ताकतों, संस्कृति और विज्ञान के विकास के लिए श्रमिकों का वैश्विक स्तर पर सबके सहयोग में एक उद्देश्यपूर्ण रुचि है। एक लोकतांत्रिक रूप से योजनाबद्ध विश्व अर्थव्यवस्था युद्ध, भूख, जन बेरोजगारी और लाखों मनुष्यों की असुरक्षा को अपेक्षाकृत कम अवधि में समाप्त करना संभव कर देगी। पर इसे किसी भी शांतिपूर्णतरीके से नहीं किया जा सकता तथा उन राज्यों को अलग करना जरूरी है जो पूंजीपतियों की सेवा करते हैं, जो अपनी शक्तियों और विशेषाधिकारों की रक्षा करना सर्वोपरि समझते हैं । जितनी जल्दी हो सके श्रमिकों को एक ऐसे संगठन को बनाने के लिए राजनीतिक रूप से संलग्न होना चाहिए जो समाजवादी समाज में संक्रमण के लिए तैयारी करे ।

Translator: Siddhartha Jain